रीवल्लभाचार्यजी जब ब्रज में आये, तब यमुना के इस घाट का दर्शन कर बड़े आकर्षित हुए। उन्होंने बड़े-बूढ़े ब्रजवासियों से सुना कि पास ही नन्दबाबा की खिड़क थी और यह घाट जहाँ वह बैठे हैं, वह घाट गोविन्द घाट के नाम से विख्यात है। श्रीवल्लभाचार्यजी उस स्थान का दर्शन कर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इस घाट पर शमीवृक्ष के नीचे श्रीमद्भागवत का सप्ताह-पारायण किया।
- गोकुलनाथजी का बाग,
- बाजनटीला,
- सिंहपौड़ी,
- यशोदाघाट,
- श्रीविट्ठलनाथ जी का मन्दिर,
- श्रीमदनमोहन जी का मन्दिर,
- श्रीमाधवराय जी का मन्दिर,
- श्रीगोकुलनाथ जी का मन्दिर,
- श्रीनवनीतप्रिया जी का मन्दिर,
- श्रीद्वारकानाथजी का मन्दिर,
- ब्रह्मछोकरा वृक्ष,
- श्रीगोकुलचन्द्रमाजी का मन्दिर,
- श्रीमथुरानाथजी का मन्दिर तथा
- श्रीनन्दमहाराज जी के छकड़ा रखने आदि स्थान दर्शनीय हैं। गोकुल के सामने यमुना के उसपार नौरंगाबाद गाँव है। उसमें श्रीगंगा जी का मन्दिर तथा दूसरे दर्शनीय स्थान हैं।
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