Wednesday, October 5, 2011

राधाष्टमी

बरसाने में राधाष्टमीका त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। राधाष्टमी के दिन राधा रानी मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। राधाष्टमी का पर्व जन्माष्टमी के 15 दिन बाद भद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। राधाष्टमी पर्व बरसाना वासियो के लिए अति महत्वपूर्ण है। राधाष्टमी के दिन राधा जी के मंदिर में फूलों और फलों से सजाया जाता है। पूरे बरसाने में इस दिन उत्सव का महौल होता है। राधाष्टमी के उत्सव में राधाजी को लड्डूओं का भोग लगाया जाता है और उस भोग को मोर को खिला दिया जाता है। राधा रानी को छप्पन प्रकार के व्ययंजनो का भोग लगाया जाता है और इसे बाद में मोर को खिला दिया जाता है। मोर को राधा-कृष्ण का स्वरूप माना जाता है। बाकी प्रसाद को श्रद्धालुओं मे बांट दिया जाता है। राधा रानी मंदिर में श्रद्धालु बधाई गान गाते है और नाच गाकर राधाष्टमी का त्यौहार मनाते है। राधाष्टमी के उत्सव के लिए राधाजी के महल को काफी दिन पहले से सजाया जाता है। राधाष्टमी के पर्व पर श्रद्धालु गहवरवन की परिक्रमा भी लगाते है। राधाष्टमी के अवसर पर राधा रानी मंदिर के सामने मेला लगाता है।

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