Wednesday, October 5, 2011

मंदिर में होली

बरसाने में होली का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। बरसाना में लट्ठमार होली की शुरुआत सोलहवीं शताब्दी में हुई थी। तब से बरसाना में यह परंपरा यूं ही निभाई जा रही है, जिसके अनुसार वसंत पंचमी के दिन मंदिर में होली का डांढ़ा गड़ जाने के बाद हर शाम गोस्वामी समाज के लोग धमार गायन करते हैं। प्रसाद में दर्शनार्थियों पर गुलाल बरसाया जाता है। इस दिन राधा जी के मंदिर से पहली चौपाई निकाली जाती है जिसके पीछे-पीछे गोस्वामी समाज के पुरुष झांडा-मंजीरे बजाते हुए होली के पद गाते चलते हैं। बरसाना की रंगीली गली से होकर बाजारों से रंग उड़ाती हुई यह चौपाई सभी को होली के आगमन का एहसास करा देती है। मंदिर में पंडे की अच्छी खासी खातिर की जाती है। यहां तक कि उस पर क्विंटल के हिसाब से लड्डू बरसाए जाते हैं जिसे पांडे लीला कहा जाता है। श्रद्धालु राधा जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मंदिर में होती हैं तो उन पर वहाँ के सेवायत चारों तरफ से केसर और इत्र पडे टेसू के रंग और गुलाल की बौछार करते हैं। मंदिर का लंबा चौड़ा प्रांगण रंग-गुलाल से सराबोर हो जाता है।

No comments:

Post a Comment